प्राचीन भारत का इतिहास, सामान्य ज्ञान
14. भारत में यवन राज :- यूनानी राजाओं का शासन और भारतीय संस्कृति पर प्रभाव, बख्तरियों और शक राजाओं का आगमन
यूनानी राजाओं का शासन और भारतीय संस्कृति पर प्रभाव:
भारत में यवन राज (यूनानी राजाओं) का आगमन सिकंदर महान (Alexander the Great) के भारत अभियान के बाद हुआ। सिकंदर के सैनिकों के लौटने के बाद उनके कई जनरल और अधिकारी भारत में बस गए और उन्होंने उत्तर-पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में शासन करना शुरू किया। इन शासकों को इंडो-ग्रीक या यवन राजाओं के रूप में जाना जाता है।
यूनानी राजाओं ने भारत में लगभग 200 वर्षों तक शासन किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृति, कला, और वास्तुकला पर गहरा प्रभाव डाला। उदाहरण के लिए, गांधार कला (Gandhara Art) में यूनानी और भारतीय कला के तत्वों का मिश्रण देखने को मिलता है। यूनानी शासकों ने भारतीय समाज में सिक्के जारी करने की परंपरा को भी प्रारंभ किया, जिन पर उनके चित्र और ग्रीक लिपि में लिखी गई सामग्री मिलती है।
यूनानी शासकों ने भारतीय संस्कृति को प्रभावित किया, विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में। उन्होंने बौद्ध धर्म का समर्थन किया और कई बौद्ध स्तूपों और मठों का निर्माण करवाया। उनके द्वारा बनाए गए सिक्कों और मूर्तियों पर भारतीय देवी-देवताओं के चित्र और प्रतीकों का प्रयोग भी देखने को मिलता है।
बख्तरियों और शक राजाओं का आगमन:
यूनानी राजाओं के पतन के बाद, बख्तरी (Bactrian) और शक (Scythian) राजाओं ने भारत में अपना शासन स्थापित किया। बख्तरियों ने उत्तर-पश्चिमी भारत में अपना राज्य स्थापित किया और उनकी राजधानी तक्षशिला (Taxila) थी। बख्तरी शासक भी यूनानी शासकों की तरह ही भारतीय संस्कृति से प्रभावित हुए और उन्होंने भारतीय समाज में योगदान दिया।
बख्तरियों के बाद शक राजाओं का आगमन हुआ। शक एक मध्य एशियाई घुमंतू जाति थी, जिन्होंने भारत पर आक्रमण किया और पश्चिमी और उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में शासन किया। शक राजाओं ने भारतीय राजनीति, समाज, और संस्कृति में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए। उनके शासनकाल में भारतीय समाज में विदेशी तत्वों का समावेश हुआ और भारतीय संस्कृति में विभिन्न विदेशी प्रभाव देखने को मिले।
इन राजाओं के शासनकाल में भारतीय कला, साहित्य, और विज्ञान में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई। उनका शासनकाल भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण चरण माना जाता है, जिसने भारतीय सभ्यता को एक नई दिशा दी।
महत्वपूर्ण बिंदु
भारत में
यवन राज (Indo-Greek Rule in India)
1. यवन राजाओं
का भारत में आगमन (Arrival of Greek Rulers in India):
- सिकंदर का आक्रमण (Alexander’s
Invasion):
- भारत में यवन राजाओं के आगमन की
शुरुआत सिकंदर (Alexander the Great) के 326 ईसा पूर्व में भारतीय उपमहाद्वीप
पर आक्रमण से हुई।
- सिकंदर ने उत्तर-पश्चिमी भारत पर
विजय प्राप्त की, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनके द्वारा जीते गए प्रदेशों में
शासन कमजोर हो गया।
- सेल्यूकस निकेटर (Seleucus
Nicator):
- सिकंदर की मृत्यु के बाद, उनके
जनरलों में से एक, सेल्यूकस निकेटर, ने उत्तर-पश्चिम भारत के हिस्सों
पर कब्जा कर लिया।
- 305 ईसा पूर्व में, चंद्रगुप्त
मौर्य ने सेल्यूकस को हराया और एक समझौते के तहत सेल्यूकस ने भारतीय प्रदेशों
को चंद्रगुप्त के अधीन कर दिया।
2. यूनानी
राजाओं का शासन (Rule of Indo-Greek Kings):
- बैक्ट्रिया के यूनानी शासक
(Bactrian Greeks):
- मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद,
2वीं शताब्दी ईसा पूर्व में बैक्ट्रिया (वर्तमान अफगानिस्तान) से यूनानी शासकों
ने उत्तर-पश्चिमी भारत पर विजय प्राप्त की।
- इन यूनानी शासकों को इंडो-ग्रीक
या यवन कहा जाता था। प्रमुख यवन शासकों में डेमेट्रियस, एंथियोकस,
और मिनेण्डर (Menander) शामिल थे।
- मिनेण्डर का शासन (Menander’s
Rule):
- मिनेण्डर सबसे प्रसिद्ध इंडो-ग्रीक
शासक था। उसे भारतीय परंपरा में 'मिलिंद' कहा जाता है।
- मिनेण्डर ने भारतीय उपमहाद्वीप
के बड़े हिस्सों पर शासन किया और बौद्ध धर्म ग्रहण किया। उनके और बौद्ध भिक्षु
नागसेन के बीच संवाद को मिलिंदपन्हो (Milindapanho) के नाम से जाना जाता
है।
3. भारतीय
संस्कृति पर यूनानी प्रभाव (Greek Influence on Indian Culture):
- हेलेनिस्टिक संस्कृति का प्रभाव
(Hellenistic Influence):
- यूनानी शासन के दौरान भारतीय संस्कृति
पर यूनानी कला, विज्ञान, और दर्शन का प्रभाव पड़ा। यह हेलेनिस्टिक संस्कृति
का प्रसार था।
- यूनानी वास्तुकला और मूर्तिकला
के तत्व भारतीय कला में शामिल हुए, विशेषकर गंधार शैली में, जिसमें ग्रीक
और भारतीय कला का मिश्रण देखने को मिलता है।
- धार्मिक और बौद्ध प्रभाव:
- यूनानी शासक भारतीय धार्मिक और
बौद्ध परंपराओं से प्रभावित हुए। मिनेण्डर जैसे कुछ यवन शासकों ने बौद्ध धर्म
अपनाया और बौद्ध धर्म के प्रसार में योगदान दिया।
- यूनानी सिक्के और शिलालेख
(Greek Coins and Inscriptions):
- इंडो-ग्रीक शासकों द्वारा जारी
किए गए सिक्के उन्नत कला और मुद्राशास्त्र का उदाहरण थे। इन सिक्कों पर यूनानी
और भारतीय प्रतीक चिन्ह और देवताओं की छवियाँ अंकित होती थीं।
- यूनानी शिलालेखों में यूनानी भाषा
और ब्राह्मी लिपि का मिश्रण मिलता है, जो सांस्कृतिक संवाद का प्रतीक है।
4. बख्तरियों
और शक राजाओं का आगमन (Arrival of Bactrians and Sakas):
- बख्तरियों का आगमन (Arrival of
Bactrians):
- बख्तरियों (Bactrians) ने उत्तर-पश्चिमी
भारत पर आक्रमण किया और सिकंदर के बाद यहाँ अपनी सत्ता स्थापित की। वे ग्रीक-बैक्ट्रियन
साम्राज्य के उत्तराधिकारी थे।
- बख्तरियों ने अपनी सैन्य शक्ति
के बल पर पंजाब और अफगानिस्तान के क्षेत्रों पर कब्जा किया।
- शक राजाओं का आगमन (Arrival of
Sakas or Scythians):
- शक (Sakas), जिन्हें स्किथियाई
भी कहा जाता है, मध्य एशिया के खानाबदोश थे, जिन्होंने मौर्य साम्राज्य के पतन
के बाद भारत पर आक्रमण किया।
- शक राजाओं ने उत्तर-पश्चिमी भारत,
गुजरात, और राजस्थान के क्षेत्रों पर अपना शासन स्थापित किया। उनका सबसे प्रसिद्ध
शासक रुद्रदामन था, जिसने पश्चिमी भारत में अपनी सत्ता को मजबूत किया।
- शकों की शासन प्रणाली (Saka
Administration):
- शक राजाओं ने भारतीय परंपराओं और
प्रशासनिक प्रणाली को अपनाया। उन्होंने भारतीय रीति-रिवाजों और धर्मों को अपनाया
और स्थानीय जनता के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाए।
- शकों के शासन में भारतीय और विदेशी
परंपराओं का मिश्रण हुआ, जिससे भारतीय समाज में विविधता बढ़ी।
- शकों का प्रभाव:
- शकों ने भारत में व्यापार और कला
को प्रोत्साहन दिया। उनके शासनकाल में गंधार कला का विकास हुआ, जो बाद में कुषाणों
के समय में भी प्रभावशाली रही।
- शकों के सिक्के और स्थापत्य कला
भारतीय और यूनानी प्रभावों का मिश्रण थे।
5. यवन,
बख्तरियों और शकों का भारतीय समाज पर प्रभाव (Influence of Indo-Greeks,
Bactrians, and Sakas on Indian Society):
- सांस्कृतिक समन्वय (Cultural
Synthesis):
- यूनानी, बख्तरियों, और शकों के
आगमन से भारतीय समाज में सांस्कृतिक समन्वय हुआ। भारतीय और विदेशी कला, साहित्य,
और धार्मिक परंपराएँ आपस में मिलकर समृद्ध हुईं।
- गंधार कला (Gandhara Art):
- गंधार कला, जो यूनानी और भारतीय
कला का मिश्रण है, इस समय का प्रमुख सांस्कृतिक परिणाम था। इसमें भगवान बुद्ध
की मूर्तियों को ग्रीक शैली में दर्शाया गया।
- सिक्के और आर्थिक प्रभाव:
- यूनानी, बख्तरियों, और शकों के
शासनकाल में व्यापार का विकास हुआ और सिक्कों का प्रचलन बढ़ा। उनके सिक्के उच्च
गुणवत्ता के होते थे और भारतीय व्यापार प्रणाली को उन्नत बनाने में सहायक रहे।
- धार्मिक और बौद्ध प्रभाव:
- यूनानी और शक राजाओं ने बौद्ध धर्म
को संरक्षण दिया और इसके प्रसार में योगदान किया। बौद्ध धर्म के साथ-साथ वैदिक
धर्म और स्थानीय धार्मिक परंपराएँ भी इस समय विकसित हुईं।
- व्यापार और संपर्क:
- इन विदेशी शासकों के आगमन से भारतीय
उपमहाद्वीप का संपर्क मध्य एशिया, ग्रीस, और पश्चिमी दुनिया के साथ बढ़ा। इससे
भारत के व्यापारिक मार्गों को भी विस्तार मिला।
भारत में यवन राज - बहुविकल्पीय प्रश्न
- सिकंदर का भारत अभियान किस वर्ष में हुआ था?
- (a) 326 ई.पू.
- (b) 250 ई.पू.
- (c) 400 ई.पू.
- (d) 150 ई.पू.
- सही उत्तर: (a) 326 ई.पू.
- गांधार कला किस संस्कृति के मिश्रण से विकसित हुई थी?
- (a) यूनानी और भारतीय
- (b) मौर्य और यूनानी
- (c) शक और भारतीय
- (d) कुषाण और यूनानी
- सही उत्तर: (a) यूनानी और भारतीय
- भारत में यवन राजाओं का शासनकाल कितना समय तक रहा?
- (a) 50 वर्ष
- (b) 100 वर्ष
- (c) 200 वर्ष
- (d) 300 वर्ष
- सही उत्तर: (c) 200 वर्ष
- यूनानी शासकों ने भारत में सबसे पहले किस परंपरा की शुरुआत की?
- (a) मंदिर निर्माण
- (b) सिक्के जारी करना
- (c) शिक्षा प्रणाली
- (d) किले निर्माण
- सही उत्तर: (b) सिक्के जारी करना
- गांधार कला के विकास में मुख्य योगदान किसका था?
- (a) शक
- (b) कुषाण
- (c) यूनानी
- (d) मौर्य
- सही उत्तर: (c) यूनानी
- यूनानी शासकों ने किस धर्म का समर्थन किया?
- (a) जैनधर्म
- (b) बौद्धधर्म
- (c) हिंदूधर्म
- (d) इस्लाम
- सही उत्तर: (b) बौद्धधर्म
- बख्तरियों की राजधानी कहाँ स्थित थी?
- (a) तक्षशिला
- (b) पाटलिपुत्र
- (c) उज्जैन
- (d) मगध
- सही उत्तर: (a) तक्षशिला
- शक राजाओं का शासनकाल किस क्षेत्र में था?
- (a) उत्तर और पश्चिमी भारत
- (b) दक्षिण भारत
- (c) पूर्वी भारत
- (d) केवल मध्य भारत
- सही उत्तर: (a) उत्तर और पश्चिमी भारत
- यूनानी शासकों ने भारतीय कला पर किसका प्रभाव डाला?
- (a) यूरोपीय कला
- (b) मौर्य कला
- (c) ग्रीक कला
- (d) शक कला
- सही उत्तर: (c) ग्रीक कला
- यूनानी राजाओं के बाद भारत में किसका शासन आया?
- (a) मौर्य
- (b) बख्तरियों
- (c) शक
- (d) कुषाण
- सही उत्तर: (b) बख्तरियों
- यूनानी राजाओं ने भारतीय समाज में कौन-सी प्रमुख परंपरा शुरू की?
- (a) वस्त्र निर्माण
- (b) सिक्के जारी करना
- (c) शिक्षा
- (d) नगर योजना
- सही उत्तर: (b) सिक्के जारी करना
- बख्तरियों का भारतीय संस्कृति पर क्या प्रभाव था?
- (a) धर्म और शिक्षा में परिवर्तन
- (b) युद्ध कला में सुधार
- (c) व्यापार और कृषि में सुधार
- (d) कला और साहित्य में योगदान
- सही उत्तर: (d) कला और साहित्य में योगदान
- गांधार कला में किस धर्म का चित्रण विशेष रूप से मिलता है?
- (a) जैनधर्म
- (b) हिंदूधर्म
- (c) बौद्धधर्म
- (d) इस्लाम
- सही उत्तर: (c) बौद्धधर्म
- बख्तरियों का भारतीय वास्तुकला पर क्या योगदान था?
- (a) मंदिर निर्माण
- (b) स्तूप निर्माण
- (c) महल निर्माण
- (d) किला निर्माण
- सही उत्तर: (b) स्तूप निर्माण
- शक राजाओं ने भारत में कौन-सा शासन स्थापित किया?
- (a) संघीय शासन
- (b) तानाशाही शासन
- (c) राजतंत्र
- (d) लोकतंत्र
- सही उत्तर: (c) राजतंत्र
- यूनानी राजाओं के शासनकाल में भारतीय संस्कृति में कौन-सा परिवर्तन आया?
- (a) धर्म परिवर्तन
- (b) सामाजिक सुधार
- (c) कला और वास्तुकला में सुधार
- (d) प्रशासनिक परिवर्तन
- सही उत्तर: (c) कला और वास्तुकला में सुधार
- यूनानी राजाओं के सिक्कों पर किसकी छवि मिलती है?
- (a) भारतीय देवी-देवताओं
- (b) यूनानी देवताओं
- (c) मौर्य सम्राटों
- (d) शक राजाओं
- सही उत्तर: (b) यूनानी देवताओं
- शक राजाओं का शासन किस क्षेत्र में था?
- (a) दक्षिण भारत
- (b) उत्तर भारत
- (c) पश्चिमी भारत
- (d) मध्य भारत
- सही उत्तर: (c) पश्चिमी भारत
- गांधार कला के मुख्य विषय क्या थे?
- (a) धार्मिक और युद्ध
- (b) सामाजिक और धार्मिक
- (c) प्रकृति और मानव
- (d) धार्मिक और सांस्कृतिक
- सही उत्तर: (d) धार्मिक और सांस्कृतिक
- भारत में यूनानी राजाओं का पतन किसके आगमन के कारण हुआ?
- (a) शक
- (b) बख्तरियों
- (c) मौर्य
- (d) कुषाण
- सही उत्तर: (b) बख्तरियों